Opinion: किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है केंद्र की मोदी सरकार

0

एक बार फिर किसान आंदोलन के किये तैयार है, किसानों की मांग पुरानी है. यहां ये जानना जरूरी है कि किसानों के हित के लिए केंद्र की मोदी सरकार कितनी प्रतिबद्ध है. क्या जैसा किसान संगठन किसानों को बताने का प्रयास कर रहे हैं वो सही है या वाकई केंद्र सरकार किसानों के लिए जो योजनाएं लाई है उससे उनके जीवन में बेहतरी आई है.

किसानों के विकास और उनके सशक्तिकरण के लिए केंद्र सरकार की पहल उनकी नीति और उनकी योजनाओं की ज़मीनी हकीकत पर विश्लेषण जरूरी है.

सरकार की किसान हितैषी योजनाएं अन्नदाता को सशक्त बना रही हैं
2014 से जब से नरेंद्र मोदी की केंद्र में सरकार आई है तब से गरीबों, युवाओं और महिलाओं के साथ-साथ अन्नदाता यानी किसान का कैसे विकास हो ये केंद्र सरकार के मुख्य एजेंडे में है. किसानों के ज़ीवन में कैसे बेहतरी आए, इसके लिए लगातार मोदी सरकार प्रतिबद्ध दिखती है. किसानों के कल्याण पर फोकस करते हुए केंद्र सरकार लगातार कार्यक्रम और नीतियां बना रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई योजनाएं लागू की हैं, जिनका उद्देश्य वित्तीय सुरक्षा, कौशल विकास, बाजार पहुंच और टिकाऊ कृषि पद्धतियां प्रदान करके किसानों के जीवन में सुधार करना है.

मोदी सरकार के 10 योजनाओं और उनके नीतियों के जरिये जानते है कि किसानों के कल्याण के लिए सरकार कितनी प्रतिबद्ध है

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)
2019 में शुरू की गई पीएम-किसान एक आय सहायता योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए बनाई गई है. इस योजना के तहत पात्र किसानों को तीन समान किस्तों में सालाना 6,000 रुपये की सीधी वित्तीय सहायता मिलती है. इस योजना से उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ है. पीएम-किसान सम्मान योजना के तहत, सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

न्यूनतम समर्थन मूल्य
भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों, राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के विचारों के आधार पर 22 अनिवार्य कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करती है. सरकार ने 2018-19 के अपने केंद्रीय बजट में एमएसपी को उत्पादन लागत के डेढ़ गुना के स्तर पर रखने के पूर्व-निर्धारित सिद्धांत की घोषणा की थी. इसके मुताबिक, सभी अनिवार्य फसलों, खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी को कृषि वर्ष 2018-19 से अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत के रिटर्न के साथ बढ़ाया गया है. पिछले 10 वर्षों में किसानों को धान और गेहूं की फसल के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के रूप में लगभग 18 लाख करोड़ रुपये मिले हैं. ¬ यह 2014 से पहले के 10 वर्षों की तुलना में 2.5 गुना अधिक है. पिछले दशक में तिलहन और दलहन उत्पादक किसानों को एमएसपी के रूप में सवा लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मिले हैं.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)
2016 में शुरू की गई, पीएमएफबीवाई किसानों को किफायती प्रीमियम पर व्यापक फसल बीमा कवरेज प्रदान करती है. यह प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों से होने वाले फसल नुकसान के लिए समय पर मुआवजा सुनिश्चित करता है. इस योजना से लाखों किसानों को वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता मिली है, उनकी आजीविका सुरक्षित हुई है. पीएम फसल बीमा योजना के तहत 4 करोड़ किसानों को फसल बीमा दिया जाता है.

सॉइल हेल्थ कार्ड योजना
2015 में शुरू की गई, सॉइल हेल्थ कार्ड योजना किसानों को व्यक्तिगत सोयल हेल्थ रिपोर्ट प्रदान करती है, जो मिट्टी के पोषक तत्वों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि और संतुलित उर्वरक के लिए सिफारिशें प्रदान करती है. उचित सॉइल प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देकर, इस योजना ने पैदावार को अनुकूलित किया है, इनपुट लागत को कम किया है और कृषि भूमि में मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ाया है. 2014-15 से, देश भर में कुल 8272 सॉइल परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं. अब तक किसानों को 23.58 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किये जा चुके हैं.

e-NAM (इलेक्ट्रॉनिक – राष्ट्रीय कृषि बाजार)
2016 में लॉन्च किया गया, e-NAM एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो पूरे भारत में कृषि बाजारों को एकीकृत करता है. यह किसानों को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने, प्रतिस्पर्धी कीमतों की खोज करने और देश भर के खरीदारों से जुड़ने में सक्षम बनाता है. इस डिजिटल प्लेटफॉर्म ने कृषि व्यापार में क्रांति ला दी है, बिचौलियों को खत्म कर दिया है, पारदर्शिता सुनिश्चित की है और किसानों को उचित बाजार पहुंच प्रदान की है. eNAM ने 1361 मंडियों को एकीकृत किया है, और 1.8 करोड़ किसानों को 3 लाख करोड़ रुपये की ट्रेडिंग मात्रा के साथ सेवाएं प्रदान कर रहा है. अब तक लगभग 8,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए जा चुके हैं.

प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र
अगस्त 2022 के दौरान शुरू की गई उर्वरक विभाग की एक पहल है. एक ही छत के नीचे उचित मूल्य पर उर्वरक, बीज, कीटनाशक जैसे गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट प्रदान करते हैं. यह मृदा परीक्षण सेवाएं भी प्रदान करता है और किसानों को उनकी कृषि प्रथाओं और उपज में सुधार के लिए सलाहकार सेवाएं प्रदान करता है. अब तक सरकार 1.75 लाख से अधिक प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र स्थापित कर चुकी है.

प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना
एक व्यापक योजना है जिसमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन अवसंरचना इत्यादि जैसी मंत्रालय की चल रही योजनाएं शामिल हैं. सम्पदा का अर्थ यहां ‘कृषि-समुद्री प्रसंस्करण और विकास योजना’ है. कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टरों की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से 38 लाख किसानों को लाभ हुआ है और 10 लाख रोजगार पैदा हुए हैं. सरकार एकत्रीकरण, आधुनिक भंडारण, कुशल आपूर्ति श्रृंखला, प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण और विपणन और ब्रांडिंग सहित फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी और सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा दे रही है.

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
2015 में शुरू की गई, पीएमकेवीवाई का उद्देश्य किसानों और ग्रामीण युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा कार्यान्वित, इस योजना ने 40 मिलियन से अधिक किसानों और ग्रामीण युवाओं को आवश्यक कृषि कौशल से लैस करके, उत्पादकता में सुधार और रोजगार के अवसर पैदा करके उन्हें सशक्त बनाया है.

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना
रुपये के अनुमानित निवेश पर भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और जिम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाने की एक योजना है. मछुआरों के कल्याण सहित मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए केंद्र सरकार ने 20050 करोड़ रुपये का निवेश किया है. जिससे मछुआरे के जीवन में बड़ा सुधार आया है.

डेयरी विकास और पशुपालन के लिए योजनाएं
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है लेकिन दुधारू पशुओं की उत्पादकता कम है. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय पशुधन मिशन और डेयरी प्रसंस्करण और पशुपालन जैसे मौजूदा योजनाओं को सशक्त करने के लिए बनाया गया है.

Tags: Farmers Protest, Kisan Andolan, Narendra modi