‘मोदी मैजिक’ से इंस्पायर ‘नमो भारत’ का मैजिक, अनोखा है ‘जय जवान-जय किसान’ का प्रयोग

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Kannada Namo Bharath Movie Review: मार्च सिनेप्रेमियों के लिए मानों ‘बसंत’ लेकर आया है. 1 मार्च, 2024 को साउथ की कई फिल्में रिलीज हुई हैं. तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम की करीब दो दर्जन फिल्में दर्शकों के मनोरंजन के लिए आई हैं. जो लोग विशेष शैली (Genre) की फिल्मों में रुचि रखते हैं, उनके लिए साउथ के फिल्ममेकर्स भरपूर मनोरंजन लेकर आए हैं. ड्रामा, थ्रिलर, एक्शन, हॉरर, सस्पेंस, म्यूजिकल, क्राइम और कॉमेडी से लेकर रोमांटिक-फैमिली सबके लिए फिल्में आई हैं. लेकिन यहां एक फिल्म की चर्चा मीडिया की सुर्खियों में बनी रही, वो है कन्नड़ फिल्म-नमो भारत.

करीब 2 घंटे 18 मिनट की नमो भारत(Namo Bharath) अपने टाइटल के कारण चर्चा में रही. यह हिंदी सिनेमा में एक समय लोकप्रिय अभिनेता रहे मनोज कुमार शैली की माडर्न ड्रामा फिल्म कही जा सकती है. मनोज कुमार देशभक्ति फिल्मों में अपने जबर्दस्त अभिनय के चलते ‘भारत कुमार’ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं.

देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संक्षिप्त नाम ‘नमो’ है. नमो भारत फिल्म मोदी सरकार की किसानों और जवानों को प्रोत्साहित करने किए जा रहे प्रयासों और प्रेरणाओं से प्रेरित है. फिल्म के कलाकारों ने खुद माना कि उनकी फिल्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाम करती है.

कहानी भी कुछ ऐसी है कि देशभक्ति से ओतप्रोत एक किसान का बेटा सैनिक बनता है. प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर वह अपने गांव लौटता है और बड़े बदलावों को अंजाम देता है. नमो भारत ‘जय जवान-जय किसान’ के नारे को बुलंद करती प्रतीत होती है.

‘नमो भारत’ का पूरा भार या कहे जिम्मेदारी रमेश एस परविनायकर के ऊपर है. वे फिल्म में ‘भारत’ की भूमिका में है. उन्होंने फिल्म को प्रोड्यूस भी किया है और निर्देशन भी. वे ही इस फिल्म के लेखक हैं. फिल्म के अन्य कलाकारों में भव्या, सुषमा राज, सोनाली पंडित, डोड्डारंगे गौड़ा, बिरादर और मिको नागराज हैं.

पर्दे के पीछे की बात करें, तो म्यूजिक एटी रवीश का है. गाने नागेंद्र प्रसाद और डोड्डारंगे गौड़ा ने लिखे हैं. सिनेमाटोग्राफी गौरी वेंकटेश की है. संपादन एम संजीव रेड्डी ने किया है.

यह फिल्म ऐसे समय में रिलीज हुई है, जब देश में किसान आंदोलित हैं. फिल्म में सैनिकों और किसानों की समस्याओं के अलावा उनके हौसले और निदान को दिखाया गया है.

फिल्म की शूटिंग करीब 48 दिनों तक कश्मीर की ठिठुरती सर्दी में हुई थी. रमेश एस परविनायकर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि कश्मीर में शूटिंग करना वाकई मुश्किल था. परविनायकर कहते हैं कि उन्होंने इस फिल्म के जरिये भारतीय सैनिकों के कश्मीर में तैनाती के दौरान सामने आने वाले कठिन समय-संघर्ष और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में बताने की कोशिश की है. मोदी सरकार ने कश्मीर से किस तरह आतंकवाद का सफाया किया, किसानों के हित में क्या फैसले लिए…फिल्म इसी पर केंद्रित है.

फिल्म की हीरोइन सुषमा राज ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया है, जो गांव के हीरो से प्यार करती है। सीनियर अभिनेत्री भव्या ऐसी मां बनी हैं, जो अपने युवा बेटे में देशभक्ति का जज्बा जगाती हैं. फिल्म में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की देश के प्रति सेवाओं को भी आदरांजलि दी गई है.

फिल्म के पहले हाफ में कश्मीर के हालात दिखाए गए हैं. जैसे-सैनिकों का जीवन और आतंकवाद से उनका जूझना। इंटरवल के बाद उत्तरी कर्नाटक के गाँवों में रहने वाले किसानों और अन्य ग्रामीणों की जीवनशैली और संघर्ष दिखाया गया है.

अगर फिल्म की ओवरऑल मेकिंग की बात की जाए, तो यह दर्शकों को कुछ खास प्रभावित नहीं करती है. कश्मीर की लोकेशन का उतनी अच्छी तरह से उपयोग नहीं किया जा सका, जैसा होना चाहिए था. एक्शन भी ‘साउथ शैली’ के नजर नहीं आई. कई जगह हास्यास्पद दिखे। कॉस्ट्यूम और मेकअप भी चलताऊ ही नजर आया.

आमतौर पर आतंकवाद से जुड़ीं फिल्में भारतीय दर्शकों में उत्तेजना पैदा करती हैं. उनमें देशभक्ति का उन्माद पैदा करती हैं, लेकिन ‘नमो भारत’ ऐसी छाप नहीं छोड़ सकी. अभिनय के लिहाज से भी ज्यादातर कलाकार प्रभावित नहीं कर सके. एडिटिंग और सिनेमाटोग्राफी भी उतनी परफेक्ट नहीं दिखी. ओवरआल यह एक औसत से भी नीचे की फिल्म है। जो लोग ‘मोदी मैजिक’ से प्रेरित हैं, वे इसे देख सकते हैं.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Movie review, South cinema

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