Exclusive: कुत्ते फिल्म की दुनिया सिर्फ विशाल भारद्वाज की नहीं है, दूसरे फिल्ममेकर्स की भी है -आसमान भारद्वाज

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Exclusive: कुत्ते फिल्म की दुनिया सिर्फ विशाल भारद्वाज की नहीं है, दूसरे फिल्ममेकर्स की भी है -आसमान भारद्वाज

फिल्म कुत्ते ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी हैं. इस फिल्म से प्रसिद्ध फिल्मकार विशाल भारद्वाज के बेटे आसमान भारद्वाज ने हिंदी सिनेमा में अपनी शुरूआत की है. उनकी इस फिल्म, उनके पिता से मिलती-जुलती उनकी सिनेमा की शैली सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

आपके पिता निर्देशक हैं, इसलिए आप भी हमेशा से निर्देशक ही बनना चाहते थे

सबसे पहले मैं सैनिक बनना चाहता था. आठ साल का हुआ तो तय किया कि मुझे निर्देशक बनना है. निश्चित तौर पर मेरे पिता इसकी वजह हैं, लेकिन एक वजह ये भी थी कि मैं कहानियों को बताना चाहता था, जो भी मेरे दिमाग में है.म्यूजिक में भी मेरी रूचि है. मैंने गिटार और पियानो बजाना सीखा था, लेकिन उसके बाद मैंने छोड़ दिया. मुझे समझ आया कि मुझे निर्देशन ही करना है.

कुत्ते की शूटिंग के वक्त क्या आपके पिता ने आपको कोई टिप्स दी थी?

उन्होने दिया नहीं, मैंने सामने से मांगा, जिस दिन मेरा पहला दिन शूट पर था. मैंने उनसे पूछा कि आप मुझे कुछ टिप्स देना चाहते हैं, तो उन्होने मुझे कहा कि शूटिंग के दौरान सिंक साउंड में जिसकी आवाज है, उस इंसान की आवाज पर फोकस करना क्योंकि एक्टर्स की परफॉरमेंस आंखों से तो दिखती हैं, लेकिन आवाज कभी झूठ नहीं बोलता है. वॉइस को चेक परफॉरमेंस के फाइनल चेक को जांचने के लिए करो.

आपकी इस फिल्म में अभिनय के कई दिग्गज नाम हैं, क्या आपके पिता की वजह से यह संभव हो पाया?

हां, पापा की वजह से हम उनलोगों तक स्क्रिप्ट को पहुंचा पाए,लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि स्क्रिप्ट अच्छी होगी तो ही कोई भी कलाकार फिल्म को हां कहेगा ना. विशाल भारद्वाज के दोस्त हैं या पहले काम किए हुए हैं इसलिए कोई मेरे साथ काम नहीं करेगा. पापा को ही कोई ना बोल देगा, अगर उनकी स्क्रिप्ट अच्छी ना लगे.

पहले ही फिल्म में इतने दिग्गज एक्टर्स के साथ काम करते हुए क्या नर्वस हुए?

सभी एक्टर्स का पहला टेक लेना, मेरे लिए आसान नहीं था, बहुत मुश्किल था. कैसे होगा. कैसे करूंगा. इन सबको लेकर बहुत नर्वस था,लेकिन एक टेक के बाद सब ठीक हो गया, क्योंकि सभी ने मुझे एक निर्देशक की तरह ट्रीट किया. उन्होने मुझे बोला कि मैं निर्देशक हूं, इसलिए मैं बताऊं कि मुझे क्या चाहिए. इस पहलू ने मेरे नर्वसनेस को कम कर मेरे आत्मविश्वास को बढ़ाया.

कुत्ते फिल्म लोगों को पसंद आ रही है, लेकिन ये चर्चा भी हो रही हैं कि फिल्म की दुनिया और किरदार आपके पिता की फिल्मों से मेल खा रहे हैं?

मैं उनका बेटा हूं, तो ये कैसा नहीं होगा. मैं उनकी फिल्मों से प्रभावित हूं. मैं दूसरे फिल्मकारों से भी प्रभावित हूं. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था. उस दौरान मैंने जो फिल्में देखी हैं, मैं उनके सबसे प्रभावित हुआ हूं. हां अपने पिता से सबसे ज्यादा क्योंकि मैं उन्ही की फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं. कुत्ते उन्होंने साथ में लिखी भी तो है इसलिए यह और ज्यादा लग रहा है. वैसे यह सिर्फ उनकी दुनिया नहीं हैं. दूसरे फिल्ममेकर्स की भी है. वह भी दूसरों के काम से प्रभावित होते हैं.गाय स्टूर्ट रिची उन्ही में से एक हैं.

कमीने का गाना ढेन टेना की शूटिंग आपको याद हैं क्या उसकी शूटिंग के वक्त आप सेट पर मौजूद थे?

मुझे याद नहीं कि सेट कहां लगा था. हां इतना जरूर पता हैं कि पूरा बारिश में डूबा हुआ था. मुंबई की बारिश का कोई अता पता नहीं रहता हैं. सेट पर पहुँचने के लिए लकड़ी की फल्लियाँ लगायी गयी थी. उस वक्त मैं स्कूल के बाद वहां जाता था. नाईट में ही वह गाना शूट हुआ था, इसलिए जा पाया था. समीर दा ने सेट बनाया था सदुक सर ने जैसी लाइटिंग की थी वो पूरा क्लब ही लग रहा था. बहुत मजेदार उस गाने की शूटिंग थी.

आपके पिता और गुलजार का एसोसिएशन दशकों पुराना हैं, आपकी इस फिल्म में भी गुलजार ने गीत लिखे हैं, आपकी क्या बातचीत और ब्रीफ आपने उन्हें दिया था?

उस वक्त कोविड चालू था, तो मैं उनसे मिल नहीं पाया था क्योंकि उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक घर से बाहर कदम भी नहीं रखा. 2019 में मैं उनसे पिछली बार मिला था. हम जूम पर बात करते रहते थे. उसके बाद जब स्क्रिप्ट तैयार हुई तो उन्हें स्क्रिप्ट भेजी थी. स्क्रिप्ट पढ़कर उन्होने कुछ नोट्स बनाए थे. उसके बाद जब बात हुई गानों की, तो मैंने उनसे पूछा था कि मैं आपको ब्रीफ कैसे दूं क्योंकि कोई सिचुएशन ऐसी नहीं है, जिस पर गाना लिखना हैं लेकिन हां ओवरआल एक थीम जानता हूं, वो कहाँ आ रहा है. आपको मैं वो बता सकता हूं. उन्होंने कहा कि तुम पांच छह लाइनें दे दी. उसके बाद उन्होंने मुझे फिल्म के गाने लिख के दिए.गानों में जो थोड़ा बहुत चेंज था भी तो वो पापा ने करवाया. इस फिल्म की शूटिंग के तीन दिन पहले हमने साथ में डिनर किया. जिसमें गुलज़ार साहब के साथ उनकी बेटी मेघना गुलजार भी शामिल हुईं थी.

फिल्म को देखकर उनकी क्या प्रतिक्रिया थी?

उन्होने बहुत पहले ही फिल्म देख ली थी. फिल्म देखकर एक बदलाव की बात उन्होंने कही थी. वो मैं और पापा भी नहीं सोच पाए थे. फिल्म के स्ट्रक्चर से जुड़ा ये बदलाव था. जो हमने उनकी राय पर किया और इसने फिल्म को बेहतरीन बनाया.

अपने पिता के अलावा आप किन फिल्मकारों से प्रभावित रहे हैं?

बहुत से लोग हैं, गिनने जाऊं तो मैं पागल हो जाऊंगा, क्योंकि हर फिल्म ने मुझमे कुछ ना कुछ छोड़ा हैं. अगर बात हो कि सबसे ज्यादा किसने प्रभावित की तो स्टेनली क्यूबरिक की फिल्में प्रमुख हैं उनकी जो फिल्में हैं आईज वाइड शट वो मेरी पसंदीदा हैं. द डिपार्टेड भी मेरी हमेशा से फेवरेट रही हैं. क्यूबरिक की मुझे लगता है कि सारी फिल्में हैं. गाय स्टूर्ट रिची की फिल्में भी मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. उनकी फिल्म ऑपरेशन फॉर्चून हाल ही में रिलीज हुई है. मुझे वो फिल्म देखनी हैं डेविड फिंचर और हिचकॉक भी मुझे बहुत पसंद है. मैंने विशेष तौर पर अपनी पढ़ाई के दौरान उनपर क्लास भी की थी. मेरी पढ़ाई न्यूयॉर्क में स्कूल ऑफ़ विजुअल आर्ट से हुई हैं. रणबीर कपूर ने भी वहीं अपनी पढ़ाई की हैं. फॉरेन एंजेलस करके एक फिल्म हैं. कुत्ते फिल्म के डीओपी के साथ बैठकर मैंने वो विजुअल देखी क्योंकि उसी टाइप का विजुअल टोन मुझे अपनी फिल्म के लिए चाहिए था. फ्रेंच फिल्म है मरमर ऑफ़ आर्ट, बायसायकिल थीफ ये सब भी मुझे बहुत पसंद हैं.

आपकी अगली रिलीज क्या हैं?

हां मैं लिख रहा हूं. मैंने पहले भी कई स्क्रिप्टस लिखी हैं देखते हैं जो बन जाएगी. वो बना लूंगा.

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